Apurva Movie 2024: सिनेमाघर में रिलीज हुई फिल्म Apurva 2023 की फिल्म है यह फिल्म 15 नवंबर 2023 को ओटीटी प्लेटफॉर्म डिजनी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई थी Apurva फिल्म को बीते 3 महीने से ज्यादा हो गए हैं यह फिल्म जब रिलीज हुई थी जब फिल्म टाइगर 3 का हल्ला जारी था. अगर आपको वाकई खून खराबे वाली स्लैशर या एन एच 10 जैसी रोड मूवी वाली फिल्में पसंद है तो आपको पूरी फिल्म देखनी चाहिए यह फिल्म एक हफ्ते की फिल्म है.
मुराद खेतान निर्माता और स्टार सिटी स्टूडियो के निर्देशक निखिल नागेश भट्ट को एक ऐसी फिल्म करने का मौका मिला था. इस फिल्म के लिए मुंबई के आम फिल्म निर्माता शायद ही तैयार हो सकते हैं निखिल नागेश भट्ट निर्माता निर्देशक अनुराग कश्यप की शगिर्दी में लंबा वक्त गुजारा, सालन फिल्म से उनका डेब्यू किया था और उनकी पिछली फिल्म हुडदंग अपने कलाकारों के औसत के कमतर प्रदर्शन के चलते किसी को याद नहीं होगी जबकि निखिल के लिए फिल्म उनकी पहली मजबूत पहचान बनाई थी इस तरह की इनसंतमक फिल्मों का विश्वास सिनेमा में अपनी ही अलग श्रेणी में पहचान होती है और मसाला फिल्मों के पूरे दर्शकों, इन फिल्मों के तयशुदा दर्शक होते हैं एक फिल्म इसमें निभाने वाले कलाकारों को अपनी भिन्न अभिनय दिखाने का मौका जरूर देती है.
14 years of exile ended
निर्देशक निखिल नागेश भट्ट ने अपूर्वा फिल्म की कहानी को लगभग 14 साल पहले लिखा था और इस प्रकार से इसका समय समाप्त हो गया तो इसे हम वनवास खत्म करने वाली फिल्म भी कह सकते हैं कहानी फिल्म की इस प्रकार शुरू होती है की शादी तय हो जाने पर एक लड़की अपने प्रेमी के वर्क सिटी जाकर, जहां पर वह है उसका प्रेमी कार्य करता है, वह लड़की उसको सरप्राइज देना चाहती है उसके जन्मदिन वाले दिन .
जब वह लड़की रास्ते में जा रही होती है तो उसका अपहरण कर लिया जाता है अपहरण करने के बाद वह लड़की उन हमलावरों से बचने के लिए पूरी रात कोशिश करती रहती है वे खूनी हमलावर थे उन्होंने उस लड़की क अपहरण किया था इसी पर यह पूरी फिल्म बनी हुई है निर्देशक निखिल ने इस पटकथा में कमाल कर दिया है एक छोटे से वक्त की कहानी को उन्होंने पौने दो घंटे की फिल्म बना दिया है
उन्होंने अपनी सिनेमाघर की सीख और कलाओं का बहुविक इस्तेमाल किया है इस फिल्म में जगह एक ही है जहां पर वह कहानी घटित होती है और इसमें कलाकार भी पहले से ही होते हैं इसके अंत तक दर्शकों को भी आवास हो जाता है लेकिन इसके बावजूद भी उनकी पटकथा इतनी रोमांचक है की इसमें दिखाए गए हर सीन में दर्शक अपनी दृश्य कलाओं के सहारे डर पैदा कर देती है और इसको रहस्य रोमांच और डर पैदा करने में सफल हो जाती है इस फिल्म में निखिल का निर्देशन भी तारीफ के काबिल है क्योंकि उन्होंने राजपाल यादव को छोड़कर दूसरा कोई कॉमेडी कलाकार नहीं लिया है
इस फिल्म की पूरी भूगोल और कैमरे का संचालन दृश्य प्रकाश निरंजन की जो परिकल्पना ने जो अधिकतर दिखाया है. एक रात में इस फिल्म में दिखाया है उससे दूसरे सिनेमा के सुधि निर्माता का ध्यान अब भटका नहीं है इस पर सुधी निर्माता का ध्यान जाना जरूरी है
Omen of off beat stories
Apurva फिल्म एक एक्सेस इंटरटेनमेंट के मिनी थियेटर में बनी एक फिल्म है इस फिल्म के प्रीव्यू के बाद निखिल नागेश भट्ट समीक्षा की प्रतिक्रियाओं को जानने के लिए वहां मौजूद थे नागेश भट्ट के चेहरे पर जो भाव था जिसमें हर निर्देशक का होता है क्योंकि उनके चेहरे पर साफ-साफ दिखाई दे रहा था कि अभी-अभी देखी गई फिल्म पर उनका सारा कार्य टिका हुआ है लेकिन फिल्म देखकर निकालने, अधिकतर समीक्षक समीक्षाओं से मिलकर उनके चेहरे का भाव खुशनुमा रोया था यह काफी खुश हो गए थे.
निर्देशक मुराद खेतान की गिनती हिंदी सिनेमा के दिग्गज फिल्म निर्माता में की जाती है कबीर सिंह के बाद उनकी अगली फिल्म एनिमल है और इतनी मेगावाट फिल्मों के बीच में अगर वह अपूर्वा जैसी छोटे बजट की फिल्म पर की भरोसा दिखाते हैं तो यह नए निर्देशों के लिए भी शुभ संकेत हो सकता है इस लीक के स्तर में फिल्मों के कदरदान इस जमाने में भी हैं लेकिन दिक्कत इस बात की है कि ऐसी फिल्मों को सिनेमाघर में रिलीज करने के लिए इन दिनों बड़ी कंपनियां तैयार नहीं हो रही हैं जिससे निर्माता को इन दिनों सिनेमा घरों में फिल्म चलाने के पैसे भी देने पड़ते हैं इसमें वह एक ही फिल्म पर दो रिस्क लेने से भी कतराते हैं
Rajpal Yadav’s acting style
यह Apurva फिल्म राजपाल यादव की फिल्म है क्योंकि इस फिल्म में राजपाल यादव ने अपना मैंन किरदार निभाया है फिल्म Apurva को आप किसी से जोड़ना चाहते हो तो फिल्म जंगल का सिंम्पा अगर आपको याद है तो आप समझ सकते हो कि राजपाल यादव का अभिनय क्षमता का पूरा इस्तेमाल हिंदी सिनेमा में बहुत ही कम हुआ है राजपाल यादव को ज्यादातर फिल्मों में कॉमेडी कलाकार बनाकर उतारा जाता है लेकिन इस फिल्म में राजपाल यादव ने अपना खूंखार और क्रूर लुटेरे के गैंग का लीडर वाला किरदार निभाया है.
जब सड़क पर गाड़ी चलाते हैं तो गाड़ी को साइड न देने पर आगे वाली गाड़ी को ओवरटेक करके ड्राइवर को गोली चला दी जाती है ऐसे किस्से उत्तर भारत में आम बात है इस तरह इस फिल्म में राजपाल यादव का किरदार जुगनू भैया के रूप में निभा रहे हैं जब वह बस के सहायक पर गोली चला देता है तब राजपाल यादव के चेहरे का भाव देखने लायक होता है क्योंकि राजपाल यादव के चेहरे का भाव एक छोटा गब्बर जैसा होता है उनका किरदार इसमें एक गुंडे का है कम हाइट वाले खलनायकों का बड़े पर्दे पर अपना अलग ही दबदबा होता है लेकिन यह बात सिनेमा के मौजूद दौर के निर्देशक निर्माता अगर समझ पाए तो राजपाल यादव के लिए यह हिंदी सिनेमा में एक नई शुरुआत हो सकती है.
Tara got the support of a good director
हिंदी सिनेमा की फिल्म Apurva में शीर्षक किरदार की भूमिका तारा सुतारिया को निभाने के लिए मिली है अपनी हर फिल्म से पहले एक नया अफेयर को लेकर सुर्खियो में रहने वाली तारा को यह समझना होगा की प्यार मोहब्बत इश्क से किसी भी कलाकार को अब दर्शक को के मन में इज्जत नहीं दिला सकते हैं यह सब अपने काम और किरदार से दी जाती है इसलिए तारा ने अब मन लगाकर पूरे मन से काम किया है आगे जब सगाई के दौरान लड़का देखने जाना और वहां रखे समोसे के बारे में लड़के से पूछना की क्या यह अपने बनाए हैं
ये बातें दिलचस्प लगती हैं और ये बातें तारा के चेहरे के भाव को स्पष्ट रूप से सहायता को स्थापित करती हैं जब वह अपहरण कर ली जाती है तो चार दर्दों से रात में बचने की कोशिश करना यह अभिनय अच्छा है कि वह कोशिश करती है खूंखार दरिंदों से बचने के लिए इसी दौरान तारा को रोशनी कम होने के कारण चेहरे पर धूल मिट्टी लग जाने से अपने भाव प्रकट करने की कमजोरी छुपाने में मदद मिल जाती है तारा सुतारिया का अभिनय स्टार किड्स के रूप में लॉन्च हुए फिलहाल की कुछ अभिनेत्री से अच्छा और बेहतर भी बन गया है तारा को बड़े निर्देशकों के पीछे भागने से अच्छा है कि वह अपनी कहानियों पर ध्यान दें और यह अभिनय उसकी यात्रा को मजबूत बन सकता है.
Abhishek Banerjee stuck in Hathoda Tyagi
निखिल नागेश भट्ट की फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी यह है जिनको दूसरे खलनायक अभिषेक बनर्जी भी कहते हैं अमिताभ बच्चन साड़ी की जैकेट पहने और पूरी छाती खोलकर घूमते अभिषेक ने सुख का ऐसा किरदार निभाया था कि घूम फिरा कर उनका हथोड़ा त्यागी की किरदार के आसपास का है अभिषेक बनर्जी की वेब सीरीज पाताल लोक की है. अब तक आगे ना बढ़ पाना बेटर अमेरिका के लिए एक घातक हो रहा है उनके बेहतर अभिनय फिल्म में गैंग के दूसरे सदस्य बने समय तो गुलाटी और आशा गुप्ता ने किया था धैर्य कारवा के लिए फिल्म में खास करने लायक कुछ नहीं था और वह गाने और तीन-चार सोंंग के साथ ही क्लाइमेक्स को प्राप्त हो जाते हैं फिल्म का संगीत और स्टार बहुत कम है
ऐसी फिल्में कम से कम एक गाना जरूर होना चाहिए था जो दहशत किया, माहौल, में रात के अंधेरे में दोबारा बजे तो पूरा मावली बदल दे और सबके हंटिंग सोंग्स की तरह रोंगटे खड़े हो जाएं फिल्म में सच इस तरफ है कि कैसे गांव देहात की युवाओं, महिलाओं के साथ किए जाने वाले अपराधों के वीडियो बनाकर वायरल किए जाते हैं और दूसरा सच इस तरफ किया जाता है कि हालात कैसे भी हो युवतियां अगर अपना हौसला ना खोय तो वह अंधेरी सुरंग से दूसरी तरफ रोशनी भी देख सकती हैं और खुद को सुरक्षित भी कर सकती हैं.